कृषि क्षेत्र में डॉ. बहल के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता : डॉ. अशोक गोदाराहिसार, 9 नवंबर (Udaipur Kiran) . Haryana कृषि विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (हौटा) ने विश्वविद्यालय के प्रख्यात वैज्ञानिक एवं शिक्षा शास्त्री डॉ. आरके बहल के निधन पर शोक जताया है. संघ का कहना है कि उनके निधन से जो अपूर्णीय क्षति हुई है, उसकी भरपाई नहीं हो सकती.हौटा अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने sunday काे बताया कि प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरके बहल हाल ही में हकृवि में हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने आए हुए थे. यहां पर उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया. सम्मेलन के प्रति उनके जज्बे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि निजी अस्पताल में एक दिन भर्ती रहने पर जब कुछ सुधार हुआ तो अगले दिन फिर से सम्मेलन में विचार रखने पहुंच गए, कुर्सी पर बैठे-बैठे ही अपने विचार रखे. यहां पर फिर से उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया. उन्होंने बताया कि डॉ. आरके बहल ने Haryana कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में लंबे समय तक सेवाएं दी और यहां से सेवानिवृत होने के बाद वर्तमान में मौलाना यूनिवर्सिटी, अंबाला में डायरेक्टर के पद पर कार्यरत थे. डॉ. अशोक गोदारा, हौटा के अन्य पदाधिकारियों उप प्रधान डॉ. कृष्ण यादव, सचिव डॉ. राजेश आर्य, सह सचिव डॉ. दिनेश तोमर व खजांची डॉ. कौटिल्य चौधरी के अलावा वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ओपी बिश्नोई, डॉ. दलीप बिश्नोई एवं अन्य ने कहा कि कहा कि कृषि विज्ञान, अनुसंधान, फसल सुधार, कृषि शिक्षण और अकादमिक नेतृत्व में डॉ. बहल योगदान को देश विदेश में उच्च सम्मान प्राप्त रहा. डॉ. आरके बहल कृषि विज्ञान की उस पीढ़ी के प्रतिनिधि थे जिन्होंने खेत, किसान और वैज्ञानिक शोध-तीनों को एक सूत्र में जोड़ा.
(Udaipur Kiran) / राजेश्वर
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