श्रीनगर, 28 अगस्त (Udaipur Kiran) । घाटी में कश्मीरी पंडितों ने गणेश चतुर्थी का उत्सव धूमधाम और भक्तिभाव से मनाना शुरू कर दिया है।
पारंपरिक रूप से विनायक चौरम के नाम से प्रसिद्ध इस उत्सव में घरों और भव्य पंडालों में गणेश की मूर्तियाँ स्थापित की जाती हैं।
इस वर्ष उत्सव बुधवार को शुरू हुआ जहाँ सिद्धिविनायक गणपतियार मंदिर, इंदिरा नगर स्थित ऑल पीएम पैकेज एम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन, शिव मंदिर और अनंतनाग स्थित वेस्सु केपी कॉलोनी में भव्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए गए।
पिछले वर्ष की तरह इस शुभ अवसर पर हवन और प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया है।
ये कार्यक्रम पुणे स्थित श्री बाऊसाहेब रंगारी ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित किए जा रहे हैं जिसके अध्यक्ष पुनीत बालन हैं। ट्रस्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण के अनुकूल गणेश मूर्तियाँ उपलब्ध कराई हैं कि यह उत्सव पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार हो।
धार्मिक समारोहों के अलावा समुदाय को भक्ति और संस्कृति के उत्सव में एक साथ लाने के लिए पाँच दिनों की सांस्कृतिक और भजन संध्याओं की योजना बनाई गई है।
इस उत्सव का समापन गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए एक जुलूस के साथ होगा जिसे गणपतियार मंदिर, शिव मंदिर और वेस्सु केपी कॉलोनी से वितस्ता झेलम नदी के तट तक ले जाया जाएगा।
31 अगस्त और 2 सितंबर को होने वाला यह पारंपरिक जुलूस इस उत्सव का एक प्रमुख आकर्षण है।
इस उत्सव की एक अनूठी विशेषता जिसे पन्न पूजा के रूप में जाना जाता है, भगवान गणेश को प्रसाद के रूप में मीठी रोटी तैयार करना है। यह पवित्र रोटी बाद में परिवार के सदस्यों और दोस्तों के बीच वितरित की जाती है जो एकता और सांप्रदायिक बंधन का प्रतीक है।
उग्रवाद के वर्षों के दौरान आई चुनौतियों के बावजूद कश्मीर में स्थानीय मुस्लिम समुदाय इन समारोहों को देखता और उनमें भाग लेता रहता है जो धार्मिक सीमाओं से परे सांप्रदायिक सद्भाव की स्थायी भावना को दर्शाता है।
स्थानीय मुस्लिम बहुल आबादी की भागीदारी घाटी में भाईचारे और आपसी सम्मान के गहरे बंधन को उजागर करती है।
(Udaipur Kiran) / सुमन लता
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