काठमांडू, 05 नवंबर (Udaipur Kiran) . राष्ट्रिय स्वतन्त्र पार्टी (रास्वपा) के सभापति रवि लामिछाने से बुधवार को न्यायिक जांच आयोग ने जेल ब्रेक और जेल से भागने से जुड़े मामले में करीब छह घंटे तक बयान लिया.
सितंबर 8–9 को जेनजी आन्दोलन के दौरान हुई घटनाओं की जांच के लिए गठित आयोग ने सिंहदरबार स्थित अपने कार्यालय में यह बयान दर्ज किया. इसके लिए लामिछाने को नक्खु कारागार से सिंहदरबार लाया गया था.
जेनजी आन्दोलन के समय रास्वपा के कार्यकर्ताओं ने नक्खु जेल से लामिछाने को बाहर निकाल लिया था, जिसके बाद अन्य जेलों से भी हजारों कैदी फरार हो गए थे. बताया जाता है कि अन्य कैदियों ने यह सवाल उठाया था कि जब लामिछाने को छुड़ाया जा सकता है, तो वे खुद जेल में क्यों रहें? कई जेलों में सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प भी हुआ था.
लामिछाने कारागार के जेलर से अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए पत्र पर हस्ताक्षर करवा कर बाहर निकले थे. जेलर सत्यराज जोशी पहले ही आयोग के समक्ष बयान दे चुके हैं. उन्होंने कहा कि लामिछाने के बाहर निकलने के बाद उन्हें एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया गया था.
वहीं, लामिछाने और रास्वपा के कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब आन्दोलनकारी जेल में आगजनी की तैयारी कर रहे थे, तब प्रशासन ने उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें परिजनों की जिम्मेदारी में सौंपा था.
पूर्व न्यायाधीश गौरीबहादुर कार्की की अध्यक्षता वाले न्यायिक जांच आयोग ने लामिछाने से जेल से निकलते समय तैयार किए गए दस्तावेज और फरारी की पूरी प्रक्रिया को लेकर विस्तार से पूछताछ की.
घटना के बाद लामिछाने जब घर लौटे तो चारों ओर विरोध के स्वर उठे. इसके बाद जब जेल प्रशासन ने फरार कैदियों को वापस लौटने का नोटिस जारी किया, तब लामिछाने खुद ही जेल वापस चले गए.
गौरतलब है कि रवि लामिछाने वर्तमान में विभिन्न सहकारी ठगी और सम्पत्ति शुद्धिकरण (मनी लाँड्रिंग) मामलों में न्यायिक हिरासत में हैं. अन्य सहकारी प्रकरणों में उन्हें जमानत मिल चुकी है, लेकिन बुटवल की सुप्रिम सहकारी ठगी केस में अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया था.
उनकी मांग पर उन्हें रूपन्देही कारागार से स्थानांतरित कर काठमांडू के नक्खु जेल भेजा गया था.
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(Udaipur Kiran) / पंकज दास
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