इंदौर में इस दशहरे पर होने वाला एक विवादित आयोजन अब रद्द हो चुका है। ‘पौरुष संस्था’ ने ‘शूर्पणखा दहन’ नाम से एक कार्यक्रम की घोषणा की थी, जिसमें 11 ऐसी महिलाओं के पुतले जलाने की योजना थी, जिन पर अपने पति या प्रेमी की हत्या का आरोप है। इस सूची में सबसे चर्चित नाम था सोनम रघुवंशी का, जो शिलांग हनीमून हत्याकांड में जेल में बंद हैं। इसके अलावा मेरठ के नीले ड्रम हत्याकांड की आरोपी मुस्कान रस्तोगी और अन्य महिलाएं भी इस लिस्ट में शामिल थीं। लेकिन अब इंदौर हाईकोर्ट ने इस आयोजन पर पूरी तरह रोक लगा दी है।
विवादों में घिरा आयोजन
‘शूर्पणखा दहन’ की घोषणा होते ही समाज में हंगामा मच गया। कुछ लोगों ने इसे नारी अपराधों के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध बताया। उनका कहना था कि यह आयोजन अपराध करने वाली महिलाओं के खिलाफ एक संदेश है। लेकिन दूसरी तरफ, कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम लोगों ने इसे महिलाओं की गरिमा के खिलाफ करार दिया। लोगों ने सवाल उठाया कि क्या एक या कुछ महिलाओं की गलतियों की सजा पूरे नारी समाज को दी जानी चाहिए?
हाईकोर्ट का सख्त रुख
इस विवाद को लेकर सोनम रघुवंशी की मां संगीता रघुवंशी ने इंदौर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने अपनी याचिका में इस आयोजन को रद्द करने की मांग की। हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा, “किसी एक महिला की गलती की सजा पूरे नारी समाज को नहीं दी जा सकती।” कोर्ट ने इस आयोजन को तुरंत प्रभाव से रद्द करने का आदेश दिया। इस फैसले के बाद न केवल सोनम की मां को राहत मिली, बल्कि उन सभी लोगों को भी सुकून मिला, जो इस आयोजन को गलत मान रहे थे।
क्या है आगे की राह?
हाईकोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि न्याय व्यवस्था समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए तत्पर है। लेकिन यह मामला कई सवाल भी छोड़ गया है। क्या प्रतीकात्मक विरोध के नाम पर किसी की गरिमा को ठेस पहुंचाना सही है? इस फैसले के बाद अब यह देखना होगा कि समाज इस तरह के आयोजनों को लेकर आगे क्या रुख अपनाता है। फिलहाल, इंदौर में दशहरे का उत्सव अब शांति और सद्भाव के साथ मनाया जाएगा।
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