वैदिक पंचांग के मुताबिक, आज 07 सितंबर, रविवार को भाद्रपद पूर्णिमा है। खगोल विज्ञान की नजर से यह दिन बेहद खास है, क्योंकि आज साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2025) होने वाला है। यह नजारा भारत में भी देखा जा सकेगा, और इसके साथ सूतक काल भी मान्य होगा। सूतक ग्रहण शुरू होने से तीन प्रहर पहले लागू हो जाता है। आइए, इस चंद्र ग्रहण के बारे में सबकुछ जानते हैं।
चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्वहिंदू मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी पर राहु का प्रभाव बढ़ जाता है। इस वजह से ग्रहण के समय शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। ज्योतिषियों का कहना है कि जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आते हैं, तो चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान राहु की नकारात्मक शक्तियां वातावरण में हावी हो जाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज रात का चंद्र ग्रहण कितनी देर तक रहेगा? आइए, इसकी पूरी जानकारी लेते हैं।
अमृत मंथन और राहु-केतु की कहानीसनातन धर्म के शास्त्रों में बताया गया है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। उस समय असुर स्वरभानु छल से देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और अमृत पान करने लगा। सूर्य और चंद्र देव ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी सूचना दी।
भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर और धड़ अलग कर दिया। इसके बाद स्वरभानु का सिर राहु और धड़ केतु के रूप में दो मायावी ग्रह बन गए। तब से राहु और केतु सूर्य और चंद्र को अपने शत्रु मानते हैं और समय-समय पर उन्हें ग्रसने की कोशिश करते हैं, जिससे सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है।
चंद्र ग्रहण का समय और अवधिआज रात चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार रात 9:58 बजे शुरू होगा। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव रात 11 बजे दिखेगा। ग्रहण देर रात 1:26 बजे खत्म होगा। कुल मिलाकर यह चंद्र ग्रहण 3 घंटे 28 मिनट तक रहेगा। ग्रहण के दौरान शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करना जरूरी है। साथ ही, महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से राहु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है।
क्या करें और क्या न करें?ग्रहण के समय कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, इस दौरान भोजन करना, सोना या कोई शुभ कार्य शुरू करना वर्जित है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से नकारात्मक शक्तियों का असर कम होता है। साथ ही, ग्रहण के बाद स्नान और दान-पुण्य करने की सलाह दी जाती है।
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य ज्योतिषीय मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों पर आधारित है। यह विभिन्न माध्यमों, ज्योतिषियों, पंचांग, प्रवचनों और दंतकथाओं से संकलित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि इसे अंतिम सत्य न मानें और अपने विवेक का उपयोग करें। हम अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देते।
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